हमारा आहार ही औषधि है
भोजन में मसाले वही स्थान रखते हैं जो आभूषण में हीरे का है।मसालों के बिना, सब्जी और दाल, स्वादहीन और फीकी होती है।
भारतीय सभ्यता में मसालों का ज्ञान हजारों साल से है -हमारी रसोई की मसालेदानी हमारे घर का
वैद्य या डाक्टर ही है।
इसी कारण से विदेशी हमारे यहाँ मसालों की खोज में,आते रहे हैं।
संसार भर के मसाले यहाँ से जाते थे।
चार सौ वर्ष से अधिक समय से केरल प्रदेश ही मसालों की अंतर्राष्ट्रीय मंडी थी।
काली मिर्च - Black Pepper
काली मिर्च विश्व भर में प्रसिद्ध है -इसे ही मसालों का राजा कहते हैं -खुशबू और स्वाद के अतिरिक्त इसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं।
कब्ज़, दस्त, अपच, किसी कीड़े का दंश -दन्त क्षय -दर्द में भीं लाभदायक होती है।
काली मिर्च से आंत्रिक पाचक रसों(एंजाइम) का स्राव सुधर कर ठीक हो जाता है।
इसके प्रभाव से पाचन क्रिया के दौरान मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया का विनाश -आंत में ही हो जाता है।
हल्दी--Turmeric
ये एक पीले रंग का मसाला है जिससे हम सब परिचित हैं -मधु(शहद) और दूध के साथ लेने से -सर्दी जुकाम का नाश करता है -एंटी ओक्सिडेंट के तौर पर शरीर को मज़बूत करता है।
शोथ-हर होने से सूजन कम करती है,शरीर की वसा-Cholesterol को नियंत्रित करती है।
पेट के कीड़ों का नाश करती है।
घाव पर लेप करने से शीघ्र घाव को भर देती है।
शरीर की अंदरूनी गांठ(ग्रंथि) के लिए लाभकर है।
इसका चन्दन के साथ मिश्रण बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग गोरा करती है। हिन्दू संस्कृति में विवाह संस्कार से पहले एक रस्म में इसे प्रयोग करने की प्रथा का वैज्ञानिक कारण ये ही है।
पेट के कीड़े मारने के लिए भी उपयुक्त है।
हल्दी का दर्दनाशक प्रभाव भी होता है और आयुर्वेद के इतिहास में वर्णन है कि आचार्य सुश्रुत -शल्य क्रिया (सर्जरी ) के बाद ,घाव भरने के लिए हल्दी के साथ सरसों का मिश्रण (पेस्ट) प्रयोग करते थे।
तनाव कम करने के लिए ब्लैक -टी के साथ हल्दी लेने का प्रचलन भी है।
मेथी ---Fenugreek
भूख बढ़ाने के लिए ,खांसी के लिए -
बुखार खासी गला ख़राब उल्टी मासिक-धर्म में होने वाला पेट दर्द,
Swafford university में एक शोध किया गया जिसका निष्कर्ष निकला क़ि प्रसूताओं की खुराक में मेथी शामिल करने से बच्चे के लिए दूध अधिक बनता है - lactation बढ़ता है।
लोंग ---Clove
दांत के दर्द में हमेशा से दर्दनाशक -संज्ञाहर(स्थानीय रूप से सुन्न करना) के रूप में प्रयोग होता रहा है -इसके भोजन में प्रयोग से यह (कृमिहर) पेट के कीड़ों को निकालता है -विभिन्न प्रकार के फफूंद से होने वाले कष्ट में एंटी fungal के रूप में शरीर की रक्षा करता है -अनेक लोग घर में लोंग का तेल रखते हैं।
भोजन में लोंग का प्रयोग खुशबू और स्वाद के लिए हमेशा से होता है।
दालचीनी---Cinnamon
ये मधुमेह(डायबिटीज) का इलाज है -इसके नियमित प्रयोग से शरीर में रक्त की शर्करा नियंत्रित रहती है।
यूरोप में स्वीडन के कोपेनहेगेन विश्वविद्यालय में हुए शोध में इसको वात-दर्द नाशक के रूप में देखा गया।
शहद के साथ दालचीनी का चूर्ण नियमित नाश्ते में लेने से एक महीने बाद अनेक लोगों ने जोड़ों के दर्द में
कमी महसूस की है।
कब्ज़-(Constipation) को दूर करने में लाभकर है।
अमेरिका के केंसास विश्वविदयालय में इ-कोलाई (E-Coli)नामक बैक्टीरिया पर शोध किया गया और दालचीनी को उस का नाश करते हुए पाया गया।
एक अन्य शोध में इसमें आवश्यक लाभकारी खनिज मैंगनीज-लोहा-कैल्शियम -फाइबर पाए गए जो कि दिमाग का टॉनिक हैं और याददाश्त पर अच्छा असर करते हैं।
इलाइची -----Cardamom
काली मिर्च अगर राजा है तो इलाइची मसालों की रानी है
इसमें एक अलग तरह की खुशबू होती है जो मुंह में ही पाचक रसों का स्राव उत्तेजित कर के
भोजन के पाचन में सहायता करती है।
पेट में पाचन करने में ज़रूरी एंजाइम पैदा करती है
आयुर्वेद में अवसाद (डिप्रेशन) में मुख्य रूप से प्रयोग की जाती है।
सरदर्द और लू लगने में प्रयोग की जाती है।
उलटी में इसका प्रयोग एक आम बात है।
गायक लोग अपनी आवाज़ को सुधारने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
लालमिर्च ---Red Chilli
इसमें कैरोटीन --विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है
यह भूख बढाने में और रक्त संचार में वृध्धि करने में सहायक होती है।
नेपाल के शेरपा अपने भोजन में लाल मिर्च कुछ अधिक खाते हैं जिससे उनका शरीर गरम रहे और एवेरेस्ट पर्वत
की चढ़ाई में उनको आसानी हो।
कैंसर -ह्रदय रोग -सर्दी जुकाम -शोथ -दर्द में रोकथाम करती है।
2008 में अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने, अपनी वेबसाइट पर बताया कि लाल मिर्च, पौरुष -ग्रंथि के कैंसर में रोकथाम करती है।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्यंत गुणकारी है।
ये स्वाद और हज़म करने में लाभ करती है---
केवल सावधानी से इसकी उचित मात्रा ही आहार में शामिल करनी चाहिए।
अधिक मात्रा में खाने से अम्ल अधिक बनेगा और एसिडिटी पैदा करेगा।
लहसुन --GARLIC
आयुर्वेद में लहसुन को वात - नाशक औषधि के रूप में वर्णित किया गया है।
संसार भर में ये भोजन बनाने में प्रयोग होता है --स्पेन और चीन में रसोइये इसे पसंद करते हैं।
हमारे देश में भी सामिष भोजन में इसका होना आवश्यक है।
इसकी गंध के कारण कुछ लोग इसे नापसंद भी करते हैं।
द्वितीय विश्वयुद्ध में इसका प्रयोग सैनिकों की चोटों में संक्रमण रोकने के लिए सफलतापूर्वक किया गया था।
रूस में 1963 में इसका प्रयोग फ्लू की महामारी को रोकने में किया गया।
रक्तचाप को नियंत्रित रखने और ह्रदय रोग में लहसुन के प्रभाव की वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है।
रक्त में लाभकर वसा (High Density lipoprotien) को बढाने में और हानिकर वसा(LDL) को कम करने में यह अत्यंत गुणकारी है।
चीन में हुए एक अध्ययन के अनुसार यह भी कैंसर-रोधी गुण रखती है।
अदरक --GINGER
प्राचीन काल से गले का संक्रमण और ठण्ड का प्रभाव रोकने में उपयोग होता है।
हमारे देश में चाय में उबाल कर पीने का प्रचलन है। इससे थकन -तनाव -सरदर्द दूर हो जाता है।
ये चिकित्सकीय सत्य है कि अदरक से जी मिचलाना -उलटी-घबराहट में आराम मिलता है।
प्राचीन ग्रीस में इसे हाजमे के लिए नियमित प्रयोग किया जाता था।
अमेरिका की मेरीलैंड यूनिवर्सिटी का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को एक ग्राम अदरक रोज एक बार लेने से उबकाई एवं उलटी से आराम मिलता है।
आर्थराइटिस ----जोड़ों के दर्द में यह एक सत्यापित औषधि है ,हल्दी मेथी और अदरक का चूर्ण -उष्ण जल के साथ रोजाना प्रयोग से जोड़ की सूजन -दर्द में आराम मिलता है।
अदरक में एक ऐसा एंजाइम पाया जाता है जो खून में थक्का नहीं जमने देता है -अतः ये ह्रदय रोग और रक्तचाप के रोगियों के लिए उत्तम है।